अलवर: राजस्थान के अलवर जिले के रामकटोरा गांव का एक सरकारी स्कूल इन दिनों देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। कभी जर्जर हालात से जूझता यह स्कूल आज अपनी अनूठी पहल के कारण पहचान बना चुका है। कुछ साल पहले तक इस स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बेहद कम थी और पढ़ाई को लेकर रुचि न के बराबर थी। लेकिन स्कूल प्रशासन, शिक्षकों और ग्राम पंचायत ने मिलकर एक अनोखा प्रयोग किया। स्कूल की इमारत को रेलगाड़ी का रूप दे दिया गया — दीवारों पर रंग-बिरंगे डिब्बों की आकृति, इंजन जैसी सजावट और अंदर से क्लासरूम को यात्री डिब्बों की तरह तैयार किया गया।

इस पहल से बच्चों में पढ़ाई को लेकर उत्साह बढ़ा और उपस्थिति दर में तेजी से सुधार आया। इस सफलता को और आगे बढ़ाते हुए स्कूल ने अब एक और नवाचार किया — एक कक्षा को हवाई जहाज का रूप दिया गया है। इसमें प्लेन के विंडो, सीट्स, और यहां तक कि कॉकपिट का मॉडल भी शामिल है। बच्चे यहां पायलट और यात्री की भूमिका निभाते हुए पढ़ाई करते हैं, जिससे उनमें आत्मविश्वास, कल्पनाशक्ति और वैज्ञानिक सोच का विकास होता है।

यह प्रयोग न केवल ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा दे रहा है, बल्कि यह संदेश भी दे रहा है कि सीमित संसाधनों के बावजूद अगर सोच नवाचारी हो, तो सरकारी स्कूल भी प्रेरणा का केंद्र बन सकते हैं। आज यह स्कूल ‘ट्रेन और एयरप्लेन स्कूल’ के नाम से पहचाना जाता है और विभिन्न राज्यों के शिक्षक, शिक्षा विभाग व मीडिया संस्थान इसकी सराहना कर रहे हैं। यह नवाचार न केवल बच्चों को स्कूल तक खींच लाया, बल्कि उन्हें सपनों की उड़ान भरने का अवसर भी दे रहा है।